लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८- श्रेय

10- सासु माँ के हाथ से खाना-

श्रवण की आवाज सुनकर अचानक श्रेया का सपना टूट गया और उसने हां मैं उत्तर दिया। श्रवन श्रेया के पास आकर बैठ गया, और उसने बताया। कि डॉक्टर साहब को आने में अभी थोड़ी देर है, इसलिए हमें यही इंतजार करना होगा। श्रेया और श्रवन वहीं बैठ कर अस्पताल में लगे नन्हे बच्चों के चित्र को देखकर आपस में बातें कर रहे थे। वे दोनों उन चित्रों को देखकर बहुत खुश हो रहे थे। उन चित्रों में उन्हें अपने बच्चे का चित्र दिखाई दे रहा था। दोनों उस नन्ही सी दुनिया में खो गए थे। तब तक नर्स ने श्रेया को पुकारा- नर्स की आवाज सुनकर श्रवन  और श्रेया का सपना टूट गया। श्रवण ने श्रेया को डॉक्टर के कमरे में पहुंचाया और खुद बाहर रुक कर इंतजार करने लगा। डॉक्टर ने श्रेया का चेकअप किया। उसके बाद श्रवण को अंदर आने को कहा- श्रवन डॉक्टर के पास पहुंचा तो डॉक्टर साहब ने उसे बैठा कर समझाया, कि एक सोनोग्राफी करानी होगी। क्योंकि मुझे थोड़ा सा कुछ समस्या का आभास हो रहा है। तो आप जाकर श्रेया की सोनोग्राफी करा कर ले आइए। तभी मैं कुछ साफ तौर पर बता सकूंगा। श्रेया और श्रवन दोनों डॉक्टर की बात सुनकर घबरा गए। डॉक्टर ने कहा- अभी घबराने की कोई बात नहीं है। पहले सोनोग्राफी करा कर आइए। फिर देखते हैं क्या करना है, क्या स्थिति है, तभी स्पष्ट होगी।  मैंने श्रेया को उठाया और सोनोग्राफी वाले डॉक्टर के कमरे में चलने के लिए कहा- श्रेया बहुत चिंतित हो गई थी,उसे डर लगने लगा था कि ऐसा क्या हो गया। अभी तो सब कुछ ठीक से चल रहा था।

तब श्रवन ने श्रेया को समझाया। कि परेशान मत हो। भगवान सब कुछ अच्छा करेंगे, भगवान पर भरोसा रखो। और दोनों ने भगवान का नाम लिया और भगवान से दुआ की। कि हे भगवान सब कुछ अच्छा रहे। इतने में सोनोग्राफी कक्ष सामने था। श्रवण ने श्रेया को कक्ष के अंदर पहुंचाया। और खुद भी सोनोग्राफी कक्ष के अंदर ही बैठ गया। नर्स ने श्रेया को बेड पर लिटाया, और सोनोग्राफी की तैयारी की। सभी तैयारियां पूरी होने के बाद डॉक्टर साहब उठकर श्रेया के पास गए। और उन्होंने सोनोग्राफी शुरू की।जैसे ही उन्होंने सोनोग्राफी मशीन को श्रेया के पेट पर रखा और देखना शुरू किया। काफी देर देखने के बाद डॉक्टर साहब इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि जो उन्हें डर था, ऐसा कुछ नहीं था, श्रेया का बच्चा पूर्ण रूप से स्वस्थ था, और उसे भी कोई परेशानी की बात नहीं थी। लेकिन सोनोग्राफी कराने की वजह यह थी,कि जो डॉक्टर को मन में शंका हो रही थी। उसे दूर करना जरूरी था। अब स्थिति स्पष्ट हो चुकी थी, कि ऐसा कुछ नहीं है सब कुछ ठीक है।

डॉक्टर की बात सुनकर श्रवन और श्रेया के मन में थोड़ी तसल्ली हुई। सोनोग्राफी की रिपोर्ट लेकर श्रवन श्रेया के डॉक्टर के पास पहुंचा। सोनोग्राफी की रिपोर्ट डॉक्टर को दिखाई रिपोर्ट देखकर डॉक्टर ने सब कुछ ठीक बताया। डॉक्टर को भी बड़ी तसल्ली हुई। उन्हें जो डर था, ऐसा कुछ नहीं था। डॉक्टर ने श्रेया और श्रवन को तसल्ली दी। और कहा- कि अब सब कुछ ठीक है कोई परेशानी नहीं है। कुछ दवाएं लिख देता हूं।इनको खाते रहो और फिर दो दिन बाद आना। श्रवन ने श्रेया की दवाएं खरीदी, और श्रेया को लेकर कमरे से बाहर निकला। बाहर आकर श्रेया को कार में बैठाया और ड्राइवर से चलने के लिए कहा- ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट की और घर की ओर चल पड़ा। कुछ ही देर में श्रेया घर के दरवाजे पर पहुंच चुकी थी। श्रेया को गाड़ी से उतारकर श्रवन अंदर ले गया। अंदर ले जा कर श्रवन ने श्रेया को आराम करने को कहा-  श्रेया कमरे में जाकर लेट गई । घर में सभी ने श्रवन से पूछा- कि डॉक्टर ने क्या कहा है। तब श्रवन ने सभी को पूरी बात बताई,सभी बहुत चिंतित हो गए थे। लेकिन श्रवन ने बताया कि चिंता की कोई बात नहीं है। डॉक्टर ने सब कुछ ठीक बताया है। फिर भी ध्यान रखने की जरूरत है। श्रेया को डॉक्टर ने अकेले ना छोड़ने के लिए कहा है,  हां डॉक्टर ने कहा है कि श्रेया के साथ एक व्यक्ति अब हमेशा ही रहना चाहिए। जब तक डिलीवरी ना हो जाए, क्योंकि डिलीवरी का समय बहुत ही नजदीक आ चुका है। डिलीवरी का दर्द कभी भी शुरू हो सकता है। दर्द शुरू होते ही श्रेया को तुरंत अस्पतालों लाना होगा और जब तक सब ठीक है कोई बात नहीं।

फिर भी नियमित चेकअप के लिए परसों डॉक्टर ने फिर बुलाया है,और सभी से विनती की, कि श्रेया से इस बारे में आप कोई बात ना करें। क्योंकि वह वैसे ही बहुत परेशान है। उसे तनाव देने के लिए डॉक्टर ने बिल्कुल मना किया है।सभी इस बात से सहमत थे। मां श्रेया से मिलने उसके कमरे में गई और बहुत प्यार से आकर सर पर हाथ फेरा। उससे पूछा कि क्या खाओगी ?  मुझे बताओ, कि तुम्हें क्या खाना है। सासु मां की बात सुनकर श्रेया मन ही मन बहुत खुश हुई। क्या... हुआ जो अब सासू मां, मेरे लिए मां से भी बढ़कर हो गई है। श्रेया को बहुत प्यार करती है, श्रेया की हर बात का ख्याल रखती है, श्रेया के मन में सासू मां के लिए इज्जत बढ़ती जा रही थी। श्रेया ने उठकर मां की गोद में सर रख लिया और मां ने श्रेया के सिर पर प्यार से हाथ फेरा। श्रेया को अब कभी अपनी मां की कमी नहीं खलती थी। थोड़ी देर बाद सासू मां श्रेया को अपने साथ कमरे से बाहर लेकर आई और खाने की टेबल पर बैठाया। श्रेया और सासू मां ने एक साथ खाना खाया। खाना खाकर सासू मां ने उसे  कमरे में जाकर आराम करने के लिए कहा। अभी श्रेया के पास आराम करने के अलावा कोई काम ही नहीं था। श्रेया आराम करते-करते भी परेशान हो जाती थी ।उसने रक्षा को अपने कमरे में बुलाया। और ननद भाभी दोनों गपशप करने लगी। गपशप करते-करते कब शाम हो गई है। श्रेया और रक्षा को पता भी नहीं चला। शाम होते ही मां ने आवाज लगाई।  रक्षा...... रक्षा.... भाभी को लेकर बाहर आओ। चाय बन चुकी है,सभी लोग आकर चाय पी लो।

श्रेया रक्षा के साथ बाहर आई,और वहां जाकर सभी ने साथ में बैठकर चाय पी। श्रेया ने सभी के साथ बातचीत की, और थोड़ा अपने आपको तरोताजा महसूस किया। शाम का समय था, सासू मां खाने की तैयारी में लग गई थी। श्रेया ने रसोई में जाकर मदद करने को कहा। तो सासु मां ने कहा जाओ तुम आराम करो। तब श्रेया ने कहा- मां जी कमरे में लेटे-लेटे मैं परेशान हो गई हूं । मुझे भी कुछ काम करने दीजिए। मैं थोड़ी आपकी मदद कर देती हूं ,सब्जी बगैरा काट देती हूं बैठे-बैठे। तो सासु मां तैयार हो गई और उन्होंने श्रेया को सब्जी काटने के लिए दे दी। श्रेया ने सब्जी काट कर मां जी को दी, मां जी ने खाना बनाया, रक्षा ने मां की मदद की। सासू मां और ननद रानी ने मिलकर खाना बनाया। श्रेया वहीं बैठ कर सब के साथ बातचीत कर रही थी।खाना बनने के बाद मां ने सभी को खाना खाने के लिए पुकारा- मां की आवाज सुनकर सभी अपने-अपने कमरों से बाहर आए और खाने की मेज पर बैठ गए।मां ने सभी को खाना परोसा और सभी ने एक साथ खाने का आनंद लिया। खाना बहुत टेस्टी था। सभी ने मां के खाने की तारीफ की। तारीफ सुनकर मां भी बहुत खुश थी।

मां के साथ का खाना वाकई बहुत टेस्टी बनता था। यह मैंने पहले कभी नहीं जाना।यह तो नन्हे मेहमान के आने की खुशी में ही मुझे पता चला। कि मां बहुत स्वादिष्ट खाना बनाती है। खाना खाने के बाद सभी लोगों ने हॉल में बैठकर बातें की और सब की बातों में बजूद एक नन्हे शिशु का ही था। सभी नए मेहमान के आने से बहुत खुश थे। कोई कह रहा था। कि वह कैसा होगा, वो लड़का होगा या लड़की होगी। हम उसका नाम  क्या रखेंगे। वह श्रेया की तरह होगा, या श्रवन की तरह। सभी के मन में अनेकों प्रश्न उठ रहे थे। तब मैंने कहा- अब ज्यादा इंतजार की नहीं करना पड़ेगा। अब चार दिन बाद तो पता लग ही जाएगा कि बेटा होगा या बेटी। तो क्यों परेशान हो,जब वह इस दुनिया में आ जाएगा या आ जाएगी। तब हम आगे की बातों पर विचार विमर्श करेंगे। अब रात बहुत हो चुकी है,मां ने कहा- आप सभी को आराम करना चाहिए। मां ने सभी को अपने कमरे में जाकर सोने के लिए कहा। सभी मां को शुभरात्रि बोल कर अपने अपने कमरे में चले गए। आप रक्षा श्रेया और मां तीन ही हॉल में बचे थे। मां ने रक्षा और श्रेया को भी उनके कमरे में जाकर सो जाने को कहा। मां की बात सुनकर। रक्षा और श्रेया भी मां को प्रणाम कर, शुभरात्रि बोल कर,अपने अपने कमरे में चले गए। रक्षा ने श्रेया को उसके कमरे तक छोड़ा और वह अपने कमरे में जाकर सो गयी। मां ने भगवान को सभी चीजों के लिए धन्यवाद कहा और सब के लिए शुभकामनाएं और दुआएं करते हुए लेट गई। सोचते सोचते मां की आंख कब लग गई और कब सुबह हो गई। मां को पता भी नहीं चला।

पर श्रेया नींद में जाते ही स्वप्नलोक में विचरण कर रही थी। स्वप्न बड़ा ही सुहाना था। स्वप्न में उसका बच्चा जन्म ले चुका था।वह अपने बच्चे को देखकर बहुत खुश हो रही थी। उसका ममत्व फूट पड़ा था। वह अपने बच्चे पर प्यार न्योछावर कर रही थी। स्वप्न में ही सही श्रेया को मां बनने का एहसास हो रहा था। श्रेया स्वप्न लोक में विचरण कर रही थी। कि श्रवन  ने श्रेया को आवाज दी। श्रेया....श्रेया.... उठो सुबह हो चुकी है। श्रवन की पुकार से श्रेया की आंख खुलती है।और वह उठकर श्रवण को सुप्रभात की शुभकामनाएं देती हुए, श्रवण को अपने सपने के बारे में बताती है।

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18 Comments

Gunjan Kamal

26-Sep-2022 05:35 PM

शानदार

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shweta soni

12-Sep-2022 02:51 PM

Very nice 👍

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Mukesh Duhan

11-Sep-2022 07:21 PM

Nice ji

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